English Books read in 2024 - 2

 Continuing from the previous blog post, let’s delve further into the books:

~Highly Recommended~

1. Beyond A Boundary- C.L.R. Jame


~Worth a Look~


2. The Hobbit - J.R.R. Tolkien

3. Prisoners of Geography - Tim Marshall


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English Books read in 2024 - 1

I read the books for perspectives aesthetics not much bothered about aesthetics, political orientations, and reviews. Good books who present realistic complexity and ambiguity with clarity are captivating and satisfying reading experience. Sharing the review of brilliant books read in 2024:

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Hindi Books read in 2024

In 2024, I read four original Hindi books and two Hindi-translated Urdu books. This was more an effort to stay connected to my mother tongue and culture. 

~Highly Recommended~

1.पतरस के मजमीं  (हिंदी संस्करण) – पतरस बुख़ारी 

पतरस बुखारी प्री-पार्टीशन के वक्त के एक प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार थे, जो अपनी चतुर, सूक्ष्म और सूफियाना शैली के लिए जाने जाते थे। "पतरस के मजामीन" पुस्तक का कालखंड 1920 का दशक है।  पतरस के मजमीं केवल ग्यारह कहानियों वाली एक छोटी-सी, दिलचस्प और हास्यपूर्ण किताब है, जिसमें हर कहानी का विवरण अलग है और उनकी ताजगी एक सदी बीत जाने के बाद भी जस की तस बनी हुई है। पाठक इसमें कई चीजों को खुद से जोड़ पाएंगे, जिससे कहानियों का आनंद और भी बढ़ जाता है। लेकिन इसे इस तरह लिखा गया है कि पाठक हर वाक्य पढ़ते समय हँसेंगे और हर कुछ पंक्तियों के बाद मुस्कुरा उठेंगे।

2. खोया पानी (हिंदी संस्करण) – यूसुफ़ी मुश्ताक अहमद

"खोया पानी" पाकिस्तानी लेखक मुस्‍ताक अहमद यूसुफ़ी की एक उल्लेखनीय पुस्तक है, जो 1947 के विभाजन से पहले के अविभाजित भारत और नवगठित पाकिस्तान के पात्रों के जीवन पर आधारित है। यह पुस्तक हास्य, विडंबना और मानव स्वभाव की गहरी समझ से भरपूर है। यूसुफ़ी ने उस उथल-पुथल भरे समय के जीवन की विसंगतियों और विरोधाभासों को अपने अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया है। वह अपनी बुद्धिमत्ता और हास्य के माध्यम से उस त्रासदी और उन लोगों की संघर्षशीलता को उजागर करते हैं, जिन्होंने इस समय का सामना किया। इस पुस्तक के पात्र नौकरशाही की अक्षम्यताओं, स्थानीय विचित्रताओं और परिवार तथा बहुसांस्कृतिक समाज की अजीबोगरीब स्थितियों में उलझे हुए हैं।  मुझे यह पुस्तक क्यों पसंद है?  यह पुस्तक पूर्व-विभाजन भारत की यादों से भरी हुई है, जो गहरी नॉस्टेल्जिया से रंगी है। इसमें उस खोई हुई सरलता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और उस समय की एक झलक है, जब धार्मिक मतभेद सार्वजनिक चर्चा पर हावी नहीं थे।

3. मेरी आत्मकथा – किशोर साहू

किशोर साहू एक महान निर्देशक और लेखक थे, जिनका योगदान बॉलीवुड के स्वर्ण युग में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।किशोर साहू की आत्मकथा "मेरी आत्मकथा" एक संक्षिप्त लेकिन जानकारीपूर्ण पुस्तक है, जिसमें उन्होंने अपने  बचपन, शिक्षा, कला के क्षेत्र में प्रवेश, अपने योगदान के बारे में विस्तृत विवरण है। उनकी जीवनी उनके समय की धड़कनों और सिनेमा के अनुभवों को सरल और सहज भाषा में जीवंत दस्तावेज़ के रूप में प्रस्तुत करती हैं | 

4. आग और पानी – व्योमेश शुक्ल

किताबवाला के साप्ताहिक एपिसोड में, सौरभ द्विवेदी ने लेखक व्योमेश शुक्ल से उनकी पुस्तक 'आग और पानी' पर गहन बातचीत की। इसके बाद पुस्तक को पढ़ने का विचार किया है। आख़िरकार, लंबे इंतज़ार के बाद किताब मिल गई और मैंने बनारस के बारे में पढ़ा जिसके ज़र्रे-ज़र्रे में कोई न कोई अद्बभुत बात है।

जब मार्क ट्वेन कहते हैं कि 'बनारस इज़ ओल्डर दैन द हिस्ट्री' यानी ये शहर इतिहास से भी पुराना है तब वाकई लगता है कि बनारस संस्कृति की आदिम लय का शहर है! व्योमेश शुक्ल ने अपनी किताब में बनारस की आत्मा, उसके ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्त्व को बड़ी खूबसूरती से उकेरा है । 'आग और पानी' में बनारस के जीवन के विरोधाभासों को, जैसे कि भौतिकता और आध्यात्मिकता, संघर्ष और समर्पण, और आधुनिकता और परंपरा, के बीच के संतुलन को बेहद सूक्ष्मता और खूबसूरती से पेश किया है। यह किताब बनारस की गलियों, लोकगायकों का शिल्प, गंगा-जमुनी तहज़ीब और आम जनजीवन से प्रेरित हैं। यदि आप बनारस को जानना और महसूस करना चाहते हैं, तो ये किताब जरूर पढ़ें।

5. ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल – उर्मिलेश

उर्मिलेश, एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, और सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं, जो हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते हैं। "ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल " एक महत्वपूर्ण कृति है, जो उनकी जीवन यात्रा और पत्रकारिता के अनुभवों को संजोए हुए है। उर्मिलेश की लेखनी में पूर्वांचल और बिहार के सामाजिक परिवेश और राजनीतिक मुद्दों की गहरी समझ परिलक्षित होती है। उर्मिलेश के लेखन का एक प्रमुख पहलू यह भी है कि वे पूरे उत्तर भारत में मार्क्सवाद और जेएनयू में प्रशासनिक उपेक्षा पर खुलकर बात करते हैं।

6. लपूझन्ना - अशोक पांडे 

लपूझन्ना अशोक पांडे का एक जीवन के बदलाव का दौर को पेश करने वाला उपन्यास है जो बचपन की यादों को वापस लाता है और उपनगरीकरण, सामाजिक पदानुक्रम और मानवीय भावनाओं की जटिलताओं की गहराई में जाता है। लेखक अपनी किशोरावस्था के स्थानीय जीवन का एक अंश उत्तराखंड के रामनगर शहर के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है और इसे "चार धाम" (हिंदू धर्म के चार पवित्र तीर्थ स्थान) से तुलना करता है। "रामनगर के चार धाम सुन लो सूतरो! इस तरफ को खतारी और उस तरफ को लखुवा। तीसरा धाम हैगा भवानिगंज और सबसे बड़ा धाम हैगा कोसी डैम।" लेखक ने अपने छोटे शहर के किरदारों—किशोरों से लेकर युवाओं तक, जिनके साथ वयस्क सहायक पात्र हैं—की भावनात्मक तस्वीर खूबसूरती से उकेरी है। उनकी आंतरिक द्वंद्व, प्रेम, आकांक्षाएं और असफलताएं बिना किसी छिपावट के प्रस्तुत की गई हैं। कहानी की लेखन शैली सरल और प्रबल है, जो इसे एक समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव बनाती है। यह पुस्तक किशोरावस्था की सभी विशेषताओं को कड़वे-मैठे अनुभवों —उत्साह, मित्रता के बंधन, दिल टूटने, पहचान की खोज, स्कूल के अनुभव, सिनेमा संस्कृति, पारिवारिक रिश्ते, सपने, विद्रोह और गलतियाँ को बयान करती  करती है।