In 2024, I read three original Hindi books and two Hindi-translated Urdu books. This was more an effort to stay connected to my mother tongue and culture. My choice of books is influenced by the antiquity of our society, culture, and bygone eras. I am an admirer of the forgotten past and take pride in our rich cultural heritage. I am searching for stories that reflect this rich complexity—books that capture the layered, evolving nature of our culture and heritage.
~Highly Recommended~
1. लपूझन्ना – अशोक पांडे
पतरस के मजमीं (हिंदी संस्करण) – पतरस बुख़ारी
यह एक दिलचस्प, बुद्धिमान, अद्भुत और हास्यपूर्ण पुस्तक है। "पतरस के मजमीं" केवल ग्यारह कहानियों वाली एक छोटी-सी किताब है, जिसमें हर कहानी का विवरण अलग है और उनकी ताजगी एक सदी बीत जाने के बाद भी जस की तस बनी हुई है। पाठक इसमें कई चीजों को खुद से जोड़ पाएंगे, जिससे कहानियों का आनंद और भी बढ़ जाता है। लेकिन इसे इस तरह लिखा गया है कि पाठक हर वाक्य पढ़ते समय हँसेंगे और हर कुछ पंक्तियों के बाद मुस्कुरा उठेंगे।
2. खोया पानी (हिंदी संस्करण) – यूसुफ़ी मुश्ताक अहमद
"खोया पानी" पाकिस्तानी लेखक मुस्ताक अहमद यूसुफ़ी की एक उल्लेखनीय पुस्तक है, जो 1947 के विभाजन से पहले के अविभाजित भारत और नवगठित पाकिस्तान के पात्रों के जीवन पर आधारित है। यह पुस्तक हास्य, विडंबना और मानव स्वभाव की गहरी समझ से भरपूर है। यूसुफ़ी ने उस उथल-पुथल भरे समय के जीवन की विसंगतियों और विरोधाभासों को अपने अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया है। वह अपनी बुद्धिमत्ता और हास्य के माध्यम से उस त्रासदी और उन लोगों की संघर्षशीलता को उजागर करते हैं, जिन्होंने इस समय का सामना किया। इस पुस्तक के पात्र नौकरशाही की अक्षम्यताओं, स्थानीय विचित्रताओं और परिवार तथा बहुसांस्कृतिक समाज की अजीबोगरीब स्थितियों में उलझे हुए हैं। मुझे यह पुस्तक क्यों पसंद है? यह पुस्तक पूर्व-विभाजन भारत की यादों से भरी हुई है, जो गहरी नॉस्टेल्जिया से रंगी है। इसमें उस खोई हुई सरलता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और उस समय की एक झलक है, जब धार्मिक मतभेद सार्वजनिक चर्चा पर हावी नहीं थे।
3. मेरी आत्मकथा – किशोर साहू
किशोर साहू एक महान निर्देशक और लेखक थे, जिनका योगदान बॉलीवुड के स्वर्ण युग में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।किशोर साहू की आत्मकथा "मेरी आत्मकथा" एक संक्षिप्त लेकिन जानकारीपूर्ण पुस्तक है, जिसमें उन्होंने अपने बचपन, शिक्षा, कला के क्षेत्र में प्रवेश, अपने योगदान के बारे में विस्तृत विवरण है। उनकी जीवनी उनके समय की धड़कनों और सिनेमा के अनुभवों को सरल और सहज भाषा में जीवंत दस्तावेज़ के रूप में प्रस्तुत करती हैं |
4. आग और पानी – व्योमेश शुक्ल
किताबवाला के साप्ताहिक एपिसोड में, सौरभ द्विवेदी ने लेखक व्योमेश शुक्ल से उनकी पुस्तक 'आग और पानी' पर गहन बातचीत की। इसके बाद पुस्तक को पढ़ने का विचार किया है। आख़िरकार, लंबे इंतज़ार के बाद किताब मिल गई और मैंने बनारस के बारे में पढ़ा जिसके ज़र्रे-ज़र्रे में कोई न कोई अद्बभुत बात है।
जब मार्क ट्वेन कहते हैं कि 'बनारस इज़ ओल्डर दैन द हिस्ट्री' यानी ये शहर इतिहास से भी पुराना है तब वाकई लगता है कि बनारस संस्कृति की आदिम लय का शहर है! व्योमेश शुक्ल ने अपनी किताब में बनारस की आत्मा, उसके ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्त्व को बड़ी खूबसूरती से उकेरा है । 'आग और पानी' में बनारस के जीवन के विरोधाभासों को, जैसे कि भौतिकता और आध्यात्मिकता, संघर्ष और समर्पण, और आधुनिकता और परंपरा, के बीच के संतुलन को बेहद सूक्ष्मता और खूबसूरती से पेश किया है। यह किताब बनारस की गलियों, लोकगायकों का शिल्प, गंगा-जमुनी तहज़ीब और आम जनजीवन से प्रेरित हैं। यदि आप बनारस को जानना और महसूस करना चाहते हैं, तो ये किताब जरूर पढ़ें।
5. ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल – उर्मिलेश
उर्मिलेश, एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, और सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं, जो हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते हैं। "ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफ़र कॉडवेल " एक महत्वपूर्ण कृति है, जो उनकी जीवन यात्रा और पत्रकारिता के अनुभवों को संजोए हुए है। उर्मिलेश की लेखनी में पूर्वांचल और बिहार के सामाजिक परिवेश और राजनीतिक मुद्दों की गहरी समझ परिलक्षित होती है। उर्मिलेश के लेखन का एक प्रमुख पहलू यह भी है कि वे पूरे उत्तर भारत में मार्क्सवाद और जेएनयू में प्रशासनिक उपेक्षा पर खुलकर बात करते हैं।