मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।
यह तीन लोकों से न्यारी काशी ।
सुज्ञान धर्म और सत्यराशी ।।
बसी है गंगा के रम्य तट पर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
नये नहीं हैं यह ईंट पत्थर ।
है विश्वकर्मा का कार्य सुन्दर ।।
रचे हैं विद्या के भव्य मन्दिर, यह सर्वस्रष्टि की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
यहाँ की है यह पवित्र शिक्षा ।
कि सत्य पहले फिर आत्मरक्षा ।।
बिके हरिश्चन्द्र थे यहीं पर, यह सत्यशिक्षा की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
यह वेद ईश्वर की सत्यवानी ।
बने जिन्हें पढ के ब्रह्यज्ञानी ।।
थे व्यास जी ने रचे यहीं पर, यह ब्रह्यविद्या की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
यह मुक्तिपद को दिलाने वाले ।
सुधर्म पथ पर चलाने वाले ।।
यहीं फले फूले बुद्ध शंकर, यह राजॠषियों की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
सुरम्य धारायें वरुणा अस्सी ।
नहायें जिनमें कबीर तुलसी ।।
भला हो कविता का क्यों न आकर, यह वाक्विद्या की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
विविध कला अर्थशास्त्र गायन ।
गणित खनिज औषधि रसायन ।।
प्रतीचि-प्राची का मेल सुन्दर, यह विश्वविद्या की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
यह मालवीय जी की देशभक्ति ।
यह उनका साहस यह उनकी शक्ति ।।
प्रकट हुई है नवीन होकर, यह कर्मवीरों की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
---By Dr S.S.Bhatnagar
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To read the interpretation of this kulgeet, click on Kulgeet (English).
To listen to this kulgeet, click on BHU Kulgeet. (This broken link has been recently fixed)
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Literal meanings:
विश्वकर्मा - Lord of architecture
सर्वस्रष्टि - All creation of nature
बिके हरिश्चन्द्र थे यहीं पर - Once King Harishchandra even sold himself to keep up the truth of his words, providing a glorious example of his morals on this land of Kashi. Read full story of him by clicking here.
थे व्यास जी ने रचे यहीं पर - Maharishi Ved Vyas ji wrote sacred books, including Mahabharat, in Kashi.
मुक्तिपद - Steps of freedom
यहीं फले फूले बुद्ध शंकर - Kashi is the place of first sermon Lord Buddha (in Sarnath) and land of Lord Shankar (Kashi Vishwanath Bhagwan)
वरुणा, अस्सी - The two tributaries of River Ganga; Varanasi name comes from Varuna + Assi.
नहायें जिनमें कबीर तुलसी - Kabirdas was born in Kashi and Tulsidas ji was born on the ganga shore
वाक्विद्या - Study of voice (Speech and Poetry)
प्रतीचि-प्राची का मेल सुन्दर - Beautiful mix of east (prachi) and west (pratichi)
विविध कला अर्थशास्त्र गायन गणित खनिज औषधि रसायन - Multiple Arts, Economics, Music, Mathematics, Mining, Medicine and Chemical Science
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Thanks to Puneet Pandey for the post.
यह तीन लोकों से न्यारी काशी ।
सुज्ञान धर्म और सत्यराशी ।।
बसी है गंगा के रम्य तट पर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
नये नहीं हैं यह ईंट पत्थर ।
है विश्वकर्मा का कार्य सुन्दर ।।
रचे हैं विद्या के भव्य मन्दिर, यह सर्वस्रष्टि की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
यहाँ की है यह पवित्र शिक्षा ।
कि सत्य पहले फिर आत्मरक्षा ।।
बिके हरिश्चन्द्र थे यहीं पर, यह सत्यशिक्षा की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
यह वेद ईश्वर की सत्यवानी ।
बने जिन्हें पढ के ब्रह्यज्ञानी ।।
थे व्यास जी ने रचे यहीं पर, यह ब्रह्यविद्या की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
यह मुक्तिपद को दिलाने वाले ।
सुधर्म पथ पर चलाने वाले ।।
यहीं फले फूले बुद्ध शंकर, यह राजॠषियों की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
सुरम्य धारायें वरुणा अस्सी ।
नहायें जिनमें कबीर तुलसी ।।
भला हो कविता का क्यों न आकर, यह वाक्विद्या की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
विविध कला अर्थशास्त्र गायन ।
गणित खनिज औषधि रसायन ।।
प्रतीचि-प्राची का मेल सुन्दर, यह विश्वविद्या की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
यह मालवीय जी की देशभक्ति ।
यह उनका साहस यह उनकी शक्ति ।।
प्रकट हुई है नवीन होकर, यह कर्मवीरों की राजधानी ।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ।।
---By Dr S.S.Bhatnagar
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विश्वकर्मा - Lord of architecture
सर्वस्रष्टि - All creation of nature
बिके हरिश्चन्द्र थे यहीं पर - Once King Harishchandra even sold himself to keep up the truth of his words, providing a glorious example of his morals on this land of Kashi. Read full story of him by clicking here.
थे व्यास जी ने रचे यहीं पर - Maharishi Ved Vyas ji wrote sacred books, including Mahabharat, in Kashi.
मुक्तिपद - Steps of freedom
यहीं फले फूले बुद्ध शंकर - Kashi is the place of first sermon Lord Buddha (in Sarnath) and land of Lord Shankar (Kashi Vishwanath Bhagwan)
वरुणा, अस्सी - The two tributaries of River Ganga; Varanasi name comes from Varuna + Assi.
नहायें जिनमें कबीर तुलसी - Kabirdas was born in Kashi and Tulsidas ji was born on the ganga shore
वाक्विद्या - Study of voice (Speech and Poetry)
प्रतीचि-प्राची का मेल सुन्दर - Beautiful mix of east (prachi) and west (pratichi)
विविध कला अर्थशास्त्र गायन गणित खनिज औषधि रसायन - Multiple Arts, Economics, Music, Mathematics, Mining, Medicine and Chemical Science
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Thanks to Puneet Pandey for the post.