आज कुछ कह रहा हूँ.मन नही है पर अन्तर्मन में उथल पुथल है.कुछ खो सा गया है . रवी आज हमारे बीच नही रहा.वह मेरा कोई बहुत करीब दोस्त नही था,पर वह मेरेयादों का भाग था.एक खालेपन सा लग रहा है,उसके बिना.बात बीते हुए लम्हूं के याद आने का नही है,किसे के जीवन से चले जाने के है.सूर्या को देख कर मन दुखी हो जाता है.शब्द बेमानी हो जाते हैं,बस भावनाएँ उमड़ती हैं.और लीखने या भगवन पर दोष देने का मन नही है .यह साल ही नही जीवन का कुछ कतरा रवी के नाम.
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