एक बूँद सहसा उछल जाती है, और रुके हुए पानी में गतिमान तरंग बनती हैं.. एक ऐसा ही प्रयास है यह....
निर्लिप्त अनुभव केवल,वह शून्य है मानो धोंकनी के भीतर
खाली ,लेकिन लगातार देता फूँक, सत्य के अग्नि को
-Lao tse
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