Friday, November 28, 2025

Part 1: भारतीय वायुसेना का संकट - GE Engine Delays, HAL Monopoly और Squadron Strength की समस्या

क्या है Indian Air Force के साथ गड़बड़?

1. GE Engine Deal
 
भारतीय वायुसेना (IAF) आज बहुत बड़ी मुश्किलों का सामना कर रही है। GE F414 इंजन के लिए तेजस Mk2 और AMCA जेट्स की डिलीवरी में तीन साल की देरी हो चुकी है। पहले 2023 में MoU हुआ था, अब मार्च 2026 तक का इंतजार है। यह सिर्फ शुरुआत है।

GE F404 इंजन जो Tejas Mk1A के लिए चाहिए थे, उन्हें भी अभी तक सही मायने में नहीं मिले। 2023 से ही deliveries miss हो रही हैं। 2025 के बीच तक सिर्फ 3 इंजन मिले हैं। HAL को हर साल 12-16 जेट्स बनाने हैं, लेकिन इंजन न मिलने से वो भी नहीं हो पा रहा। GE ने मार्च 2026 में 12 इंजन देने का वादा किया है, पर उस पर भी निर्भर नहीं हो सकते।

GE Engine Deal में क्या समस्या है? तीन मुख्य समस्याएं हैं GE के साथ negotiations में:
  • Technology Transfer का झगड़ा : भारत चाहता है कि कम से कम 80-100% technology transfer हो ताकि भारत आगे जा सके। GE हमेशा कुछ बातें रोक कर रखता है - source code, manufacturing के secrets, सब कुछ पूरा नहीं देता। यह भारत की आत्मनिर्भरता में रोड़ा अटकाता है।
  • कीमत का सवाल:  कितना दाम दिया जाए, कितनी मात्रा कब तक deliveries हो - ये सब कुछ लड़ाई है।
  • US Export Controls: अमेरिका की एक्सपोर्ट policy है - सब किसी को नहीं दे सकते। Political tensions, sanctions, ये सब चलती रहती है। हिंदुस्तान के लिए भी rules बदल जाते हैं।
  • Supply Chain की समस्या: दुनिया में कोविड के बाद से सब कुछ दिक्कत में है। इसी वजह से भारत अब France के Safran कंपनी को भी देखने लगा है। Tejas Mk2 के इंजन के लिए Safran एक विकल्प बन सकता है।
2. Squadron Strength: IAF कितना कमजोर हो गया?

यह सबसे बड़ी समस्या है। आजकल भारतीय वायुसेना के पास सिर्फ 29 squadrons हैं। यह बहुत कम है। Authorized strength क्या होनी चाहिए? IAF को 42.5 squadrons होने चाहिए। लेकिन आधे भी नहीं हैं।

Regional comparison देखिए:



क्या यह खतरनाक है? हाँ, यह बहुत खतरनाक है। दो मोर्चा युद्ध की स्थिति में (Pakistan और China दोनों से) भारत की ताकत काफी कम है। 60 साल पहले जितने squadron थे, अब उससे भी कम हैं। क्यों Squadron Strength गिर रही है?
  • MiG-21 की Retirement: भारत ने अपने सबसे पुराने विमान MiG-21 को रिटायर कर दिया। ये लड़ाकू विमान 60 साल पुराने हो गए थे। इसके बाद से ही numbers गिरने लगे।
  • Tejas Mk1A की धीमी डिलीवरी: Tejas Mk1A को भारत का भविष्य माना जाता था। लेकिन 2025-26 में सिर्फ 12 aircraft ही मिलने हैं। इंजन की कमी इसका सबब है। HAL की नई production line 24 जेट्स सालाना बना सकती है, पर इंजन न मिलने से वो भी बेकार है।
  • Future में और भी गिरावट: Jaguar aircraft (जो भारत के पास एकमात्र मध्यम दूरी का बमवर्षक है) को 2030 से रिटायर करना है। फिर: MiG-29UPG: 2033-2037 में रिटायर होंगे | Mirage 2000: 2035 के बाद रिटायर होंगे |  इन सबके रिटायरमेंट के बाद, अगर नए जेट्स न आएं तो numbers और भी गिरेंगे।
3. Jaguar Retirement: बड़ी समस्या आने वाली है

Jaguar aircraft काफी खास हैं भारत के लिए। ये एकमात्र strike aircraft हैं जिन्हें nuclear weapons ले जाने के लिए design किया गया था। पर ये 50 साल पुराने हो गए।

यह रिटायरमेंट कब शुरू होगी?
  • 2030 से: Jaguar DARIN I और II को phase out करना शुरू
  • 2033-2037: MiG-29UPG को भी retire करेंगे
  • 2035 के बाद: Mirage 2000H और बाकी Jaguar DARIN-III
क्या बदले में नए विमान हैं? यही समस्या है! अभी तक कोई direct replacement नहीं है। इसी लिए भारत urgently चाहता है:
  • 114 और Rafale जेट्स
  • संभव है कि Su-57 भी खरीदे (Russia से)
  • Tejas Mk2 को भी जल्दी से तैयार करना है
अगर यह नहीं हुआ तो 2030 के बाद squadron strength और भी तेजी से गिरेगी।

4. Defense Budget: पैसे की कमी भी है
भारत अपने GDP का सिर्फ 1.9% ही defense पर खर्च करता है। यह बहुत कम है, दूसरों की तुलना में:
  • Global Average: 2.5%
  • Pakistan: 4.0% (अपनी छोटी economy में भी इतना खर्च करता है!)
  • USA: 3.5%
  • China: 1.7% (लेकिन absolute numbers में कहीं ज्यादा)
भारत को कम से कम 2.5% पर जाना चाहिए। साल 2025-26 में total defense budget ₹6.81 लाख करोड़ ($86.1 billion) है, लेकिन इसमें से सिर्फ 26.43% ही नई खरीद के लिए जाता है। बाकी pension और maintenance में खर्च होता है।

5. संरचनात्मक समस्याएं: HAL और Industry

अभी तक बात विदेशी खरीद की हुई। लेकिन भारत को अपने जेट्स भी बनाने हैं। यही है असली आत्मनिर्भरता। पर इसके रास्ते में एक बहुत बड़ी समस्या है - HAL (Hindustan Aeronautics Limited). भारत के पास एक बड़ी समस्या है - सब कुछ HAL के कंधों पर है।

HAL क्या है? HAL भारत की रक्षा manufacturing का दिल है। लेकिन यह दिल अभी बीमार है। क्या बनाता है HAL?
  • सभी लड़ाकू जेट्स (Tejas, MiG-21, MiG-27, Jaguar, Su-30MKI)
  • सभी helicopters (Prachanda, Dhruv, आदि)
  • Transport aircraft
  • Trainers और दूसरे aircraft
कितना बड़ा है? 15,000 से ज्यादा लोग सीधे काम करते हैं | Tens of thousands of contractors के through काम करता है |  

HAL की समस्या: क्यों देरी हो रही है?  | HAL एकमात्र कंपनी है जो सब कुछ करती है: Production bottleneck हैयहाँ मुख्य समस्या है: "Large Order Book, Low Turnover"

HAL के पास क्या है? 
  • Order book: ₹2.52 लाख करोड़ (2.52 trillion rupees!).
  • Turnover (yearly sales): सिर्फ ₹32,000 करोड़
यह क्या मतलब है? मान लीजिए आपका restaurant है जिसके पास 10 साल के लिए advance bookings हैं, लेकिन आप सिर्फ 1 साल का revenue generate कर रहे हो। यही HAL की स्थिति है।

Orders का Breakdown:
  • Tejas Mk1A (First Batch): ₹36,400 crores - 2024 तक deliver होने थे, अब 2026 में हो सकते हैं
  • Tejas Mk1A (Second Batch): ₹63,000 crores (97 विमान) - Sept 2025 को order
  • Prachanda Helicopters: 156 helicopters - Army को 90, Air Force को 66
  • Advanced Light Helicopter Civilian: 34 helicopters - ₹873 crores
  • Navy Dornier Upgrade: ₹2,890 crores
कुल order book next 10 साल तक भरा हुआ है! Why Turnover कम क्यों है? मुख्य कारण:
  • Slow Production: HAL सालाना सिर्फ 24 Tejas बना सकता है, जबकि IAF को 35-40 चाहिए
  • Integration Issues: Engines मिल जाते हैं, पर उन्हें aircraft के साथ integrate करना मुश्किल है
  • Quality Control: हर aircraft को carefully test करना पड़ता है
  • Bottleneck: सब कुछ HAL के हाथों में है, कहीं और नहीं बन सकता
पहले Bangalore में सिर्फ 8-16 jets/year बन रहे थे |  अब Nashik में 24 jets/year बना सकते हैं | दोनों together तो और भी ज्यादा, पर समस्या क्या है?  IAF को ₹40 jets/year चाहिए। हम सिर्फ 24 दे सकते हैं | Gap कैसे भरेगा?
  • Private companies को भी Tejas के parts बनाने दो
  • More sub-contractors
  • Supply chain को improve करो
  • Advanced Light Helicopter: शर्मनाक Story


भारत को defense manufacturing में market segmentation अपनाना चाहिए—L&T को wings, Mahindra को fuselage parts, Tata को avionics जैसे clear roles देकर specialized production बढ़ेगी। Flexible cost negotiation से L1 tendering norms छोड़ना होगा, क्योंकि delays या price changes में suppliers को नुकसान होता है और projects रुक जाते हैं। इससे private sector efficiency आएगी, HAL पर burden कम होगा, और Atmanirbhar Bharat तेजी से achieve होगा।

AMCA Project: HAL को Challenge

यहाँ सबसे बड़ा change हो रहा है। पहले क्या था? HAL सब कुछ करती थी - सब काम, सब तरफ का monopoly. अब क्या है? AMCA के लिए Aeronautical Development Agency (ADA) ने एक नया rule बनाया है:

ADA का Rule: Order Book का 1/3 Rule - यदि आपका order book आपके turnover का 3 गुना से ज्यादा है, तो आप AMCA के लिए bid नहीं कर सकते। HAL के लिए क्या मतलब है?
  • Order book: ₹2.52 लाख करोड़
  • Turnover: ₹32,000 करोड़
  • Ratio: 8:1 (8 गुना!)
HAL को qualify करने के लिए turnover ₹85,000 crore होना चाहिए। फिलहाल वह सिर्फ ₹32,000 है। तो HAL AMCA के लिए bid भी नहीं कर सकता? सही कहा! HAL को अपनी existing orders तेजी से deliver करनी होंगी ताकि turnover बढ़े। फिर वह AMCA जैसे बड़े projects के लिए qualify हो सकता है।

क्या यह सही है? बिल्कुल सही! यह एक genius rule है क्योंकि:
  • Incentive: HAL को तेजी से produce करने के लिए encourage करता है
  • Quality: जब HAL अपनी orders deliver करेगा, तो turnover बढ़ेगा
  • Competition: Private companies को भी मौका देता है AMCA के लिए
  • Reform: Government HAL को reform करने के लिए force कर रहा है
Tejas Production: क्या बदल रहा है?

Tejas Mk1A के case में: बार-बार failures
  • 2 साल की delay (2024 से 2026)
  • अभी भी सिर्फ 38 विमान deliver हुए हैं (कुल 40 के पहले order में से 2 अभी बाकी हैं) (two-seater trainers)
क्यों इतनी देरी?  यह complicated है:
  • Engine delays: GE से engines नहीं मिल रहे
  • Avionics integration: Indian radar, electronic warfare systems को aircraft में fit करना मुश्किल है
  • Quality control: हर jet को बार-बार test करना पड़ता है
  • Supplier issues: Parts और materials की कमी
6. Other issues:  Advanced Jet Trainer की कमी भारत की वायुसेना को नए और आधुनिक Advanced Jet Trainers की सख्त जरूरत है ताकि युवा पायलटों को बेहतर प्रशिक्षण मिल सके। वर्तमान में इस्तेमाल हो रहा Hawk trainer पुराना हो चुका है और अब उसकी क्षमता आधुनिक विमानों की ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त नहीं है। HAL अभी नया trainer develop नहीं कर पाया HAL ने अब तक एक नया indigenous advanced jet trainer विकसित नहीं किया है, जिसकी वजह से वायुसेना को विदेशी trainers पर निर्भर रहना पड़ रहा है। हालाँकि HAL का HLFT-42 प्रोजेक्ट प्रगति पर है, लेकिन इसे शुरूआती operational चरणों में लाने में अभी कुछ समय लगेगा।


अगले भाग में हम देखेंगे कि भारत कैसे इन समस्याओं का समाधान निकाल सकता है - विदेशी खरीद और स्वदेशी विकास दोनों से।

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